Virat Kohli: भारत के इंग्लैंड दौरे से पहले एक और झटका लग सकता है। भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल और लोकप्रिय बल्लेबाजों में से एक, विराट कोहली(Virat Kohli) टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इससे पहले रोहित शर्मा ने अपने टेस्ट कैरियर को विराम दिया था। इंग्लैंड दौरे पर भारत को 5 टेस्ट मैच खेलने हैं। जिसके लिए भारत ने अपनी टीम का घोषणा नहीं की है, हालांकि इसके लिए बीसीसीआई ने 35 खिलाड़ियों को शॉर्ट लिस्ट किया था।
इसमें विराट कोहली (Virat Kohli)भी शामिल थे, लेकिन कोहली (Virat Kohli)ने बीसीसीआई (BCCI)को अपने फैसले की जानकारी दे दी है, हालांकि बोर्ड ने उनसे इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। ऐसे में यहां एक बड़ा सवाल उठता है कि आखिर BCCI क्यों नहीं चाहती कि विराट कोहली संन्यास लें। यहां हम 4 ऐसे कारण के बारे में बताने जा रहे हैं कि क्यों BCCI नहीं चाहती कि विराट कोहली संन्या लें।
अनुभव और विशेषज्ञता
विराट कोहली (Virat Kohli) एक अनुभवी और विश्व स्तरीय टेस्ट बल्लेबाज हैं। उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में 46.85 की औसत से 9,230 रन बनाए हैं, जिसमें 30 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं। रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद, टीम में उनके अनुभव और विशेषज्ञता का होना युवा बल्लेबाजों के लिए महत्वपूर्ण होगा, खासकर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के आगामी विदेशी दौरों पर।
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नेतृत्व क्षमता
कोहली एक सफल टेस्ट कप्तान रहे हैं, जिन्होंने 68 मैचों में भारत का नेतृत्व किया और 40 में जीत हासिल की। भले ही उन्होंने कप्तानी छोड़ दी हो, लेकिन ड्रेसिंग रूम में उनकी उपस्थिति और रणनीतिक सोच युवा कप्तान को मार्गदर्शन प्रदान कर सकती है। रोहित शर्मा के संन्यास के बाद, टीम को एक अनुभवी खिलाड़ी की आवश्यकता है जो नेतृत्व समूह का हिस्सा हो।
फिटनेस और जुनून
BCCI के सूत्रों के अनुसार, कोहली अभी भी अविश्वसनीय रूप से फिट हैं। टेस्ट क्रिकेट के प्रति उनका जुनून जगजाहिर है, और उनकी फिटनेस उन्हें लंबे समय तक इस प्रारूप में खेलने की अनुमति देती है। टीम में उनकी ऊर्जा और सकारात्मकता का माहौल पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
स्थिरता और निरंतरता
भारतीय टेस्ट क्रिकेट एक संक्रमण काल से गुजर रहा है, जिसमें कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने संन्यास ले लिया है या लेने वाले हैं। ऐसे समय में, कोहली जैसे अनुभवी खिलाड़ी का टीम में बने रहना युवा खिलाड़ियों को स्थापित होने और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है। उनका मार्गदर्शन टीम को स्थिरता और निरंतरता प्रदान कर सकता है।
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