Ranji Trophy: भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास में रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) सबसे प्रतिष्ठित क्रिकेट टूर्नामेंट्स में से एक है। इस टूर्नामेंट से कई सारे बड़े खिलाड़ी निकले हैं और टीम इंडिया के लिए ढेरों रन बनाए हैं। रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) की शुरुआत 1934-35 में हुई थी और इसे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) द्वारा आयोजित किया जाता है। इसके जरिये कई सारे खिलाड़ी टीम इंडिया में जगह बनाते हैं। रणजी ट्रॉफी में राज्य और क्षेत्रीय टीमों के बीच मुकाबला होता है।
Ranji Trophy में जब भारतीय खिलाड़ी ने जड़ा था चौहरा शतक
महाराष्ट्र के क्रिकेटर भौसाहेब निंबालकर ने रणजी ट्रॉफी में एक ऐतिहासिक पारी खेली थी और 400 से अधिक रन बनाए थे। उन्होंने 1948 के सीजन में रणजी ट्रॉफी के एक मुकाबले में भाउसाहेब निंबालकर 443 रन बनाकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया। यह पारी भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी है। पुणे के महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में निंबालकर ने गेंदबाजों की धज्जियाँ उड़ाते हुए अपने बल्ले से 443 रनों की पारी खेली थी। उनकी इस अविश्वसनीय पारी के दौरान, उन्होंने 49 चौके और 1 छक्का लगाया था।
Ranji Trophy में जब भारतीय खिलाड़ी ने जड़ा था चौहरा शतक
भाऊसाहेब निंबालकर का जन्म 12 दिसंबर 1919 में हुआ था और उनका देहांत 11 दिसंबर 2012 में हुआ था। भाऊसाहेब एक भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेटर थे, जिन्हें महाराष्ट्र और काठियावाड़ के बीच 1948-49 के रणजी ट्रॉफी मैच में नाबाद 443 रनों की पारी के लिए याद किया जाता है। यह प्रथम श्रेणी क्रिकेट के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था। यह भारतीय रिकॉर्ड बना हुआ है और यह किसी ऐसे बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर है।
निंबालकर ने कभी नहीं खेला टेस्ट क्रिकेट
भाऊसाहेब निंबालकर ने अपने क्रिकेट करियर में कभी टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला। दाएं हाथ से बल्लेबाजी करने वाले निंबालकर का करियर काफी लंबा रहा था और उन्होंने प्रथम श्रेणी टीमों में बड़ौदा, महाराष्ट्र, होलकर, मध्य भारत, राजस्थान और रेलवे के लिए खेल चुके थे। उन्होंने प्रथम श्रेणी के अपने करियर में 80 मैचों में 4841 रन बनाए थे और इस दौरान उनका बल्लेबाजी औसत 47 से अधिक का रहा था।
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