Anaya Bangar : भारत के पूर्व खिलाडी संजय बांगर की बेटी पिछले दिनों खूब सुर्ख़ियों में रही. वो सोशल मीडिया पर भी खूब एक्टिव रहती हैं. दरअसल अनाया (Anaya Bangar) अपने जेंडर चेंज को लेकर खूब सुर्ख़ियों में रहीं थी. अनाया बांगर पहले लड़का हुआ करती थी लेकिन जेंडर चेंज कराने के बाद वो अब एक लड़की हैं.
अनाया (Anaya Bangar) पहले लड़का हुआ करती थी तो वो पुरुष टीम के साथ खेलती थी लेकिन जब से उन्होंने अपना जेंडर बदलवाया
है अब उनके खेल को लेकर एक संदेह बन गया है. अनाया (Anaya Bangar) के अब सुर्ख़ियों में आने की वजह है उनका एक सोशल मीडिया पोस्ट. अनाया ने ट्रांसजेंडर को लेकर आवाज़ उठायी है उन्होंने एक क्रिकेट बोर्ड के एक्शन पर आवाज़ उठायी है. आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला.
क्या है पूरा मामला

दरअसल एक क्रिकेट बोर्ड ने ट्रांसजेंडर को लेकर बड़ा फैसला लिया है. हम बात कर रहे इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड की. उन्होंने ट्रांसजेंडर को महिला और लड़कियों के मैचों में हिस्सा लेने से बैन कर दिया है. ऐसा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सुनाये गए एक फैसले के बाद किया गया है.
दरअसल वहां की कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में ट्रांसजेंडरों को महिलाओं की कानूनी परिभाषा से बाहर रखा गया है. जिसके बाद इंग्लैंड की बोर्ड ने ये बड़ा एक्शन लिया है. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में ट्रांसजेंडरों को महिलाओं की कानूनी परिभाषा से बाहर रखा गया है. वहीँ बोर्ड के इसी फैसले पर अनाया बांगर (Anaya Bangar) ने सोशल मीडिया पर जैम कर सुनाया है.
बांगर ने सोशल मीडिया पर क्या लिखा
बांगर ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से लिखा कि “ईसीबी ने आधिकारिक तौर पर ट्रांस महिलाओं को न केवल पेशेवर क्रिकेट में, बल्कि खेल के मनोरंजक और जमीनी स्तर पर भी भाग लेने पर बैन लगा दिया है.” आगे वो लिखती हैं कि “यह सिर्फ एक नियम नहीं है. यह एक संदेश है. एक संदेश जो कहता है, चाहे आपका समर्पण, प्रतिभा, अनुशासन, या परिवर्तन के सालों में आपको अभी भी पर्याप्त रूप से नहीं देखा जाएगा.”
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“मुझे इसी खेल में भेदभाव, उत्पीड़न…”
उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर और भी बातें कहीं. उन्होंने आगे कहा कि “एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने इस खेल को अपना दिल दे दिया है, यह व्यक्तिगत लगता है. मैं सिर्फ एक ट्रांस लड़की नहीं हूं, मैं एक क्रिकेटर भी हूं.” आगे वो लिखती हैं “मुझे इसी खेल में भेदभाव, उत्पीड़न और अदृश्यता का सामना करना पड़ा है. और अब, संस्थाएं ऐसी रेखाएं खींच रही हैं जो हमारे अस्तित्व को पूरी तरह से मिटा देती हैं. वे पिच को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन वे कभी भी हमारी भावना को नियंत्रित नहीं करेंगे. यह हमारी पारी का अंत नहीं है.”
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