MS Dhoni: भारतीय टीम में एक से एक धुरंधर खिलाड़ी आए, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से खूब नाम कमाया। ऐसा ही एक नाम दिग्गज एमएस धोनी का है, जिन्हें फैंस कैप्टन कूल के नाम से भी जानते हैं। धोनी के करियर की शुरुआत जब हुई थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि आगे जाकर वह इतने महान खिलाड़ी बन जाएंगे। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से फिनिशर के तौर पर खास जगह बनाई और सबसे ज्यादा लोकप्रियता बतौर कप्तान हासिल की।
कप्तान के तौर पर तीन आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले एमएस धोनी (MS Dhoni) इकलौते खिलाड़ी हैं। धोनी का करियर काफी सुनहरा रहा लेकिन कहते हैं कि हर चीज के दो पहलू होते हैं। एक पहलू धोनी के शानदार करियर का है तो दूसरा पहलू उनके करियर पर लगे कुछ दाग का भी है। इस आर्टिकल में हम ऐसे ही 6 दाग दागों का जिक्र करने जा रहे हैं, जिन्हें धोनी कभी नहीं भुला पाएंगे।
6. MS Dhoni बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज हारने वाले पहले भारतीय कप्तान
2015 में भारत ने बांग्लादेश का दौरा किया था और तीन मैचों की वनडे सीरीज में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था। वनडे सीरीज के पहले दो मैचों में बांग्लादेश ने भारत को धूल चटाई और सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त बना ली। तीसरा मैच टीम इंडिया ने अपने नाम किया लेकिन सीरीज हाथ से जा चुकी थी। इस तरह एमएस धोनी (MS Dhoni) बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज हारने वाले पहले भारतीय कप्तान बने थे।
5. एशिया के बाहर एक भी शतक ना बना पाना
भारत के लिए साल 2004 में डेब्यू करने वाले एमएस धोनी (MS Dhoni) ने 2019 तक इंटरनेशनल लेवल पर खेला। इस दौरान उनके बल्ले से कई जबरदस्त शतक भी देखने को मिले। धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कुल 16 शतक जड़े लेकिन ये सभी एशिया में ही आए। इसी वजह से एमएस धोनी (MS Dhoni) को सोशल मीडिया पर अक्सर ट्रोल होना पड़ता है।
4. लगातार चार टेस्ट सीरीज हारना
एमएस धोनी (MS Dhoni) कप्तानी करते हुए लगातार चार टेस्ट सीरीज़ हारने वाले पहले भारतीय कप्तान हैं। 2013 में, टीम इंडिया को न्यूज़ीलैंड के हाथों 0-1 से टेस्ट सीरीज़ में हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में भी 0-2 से हार का सामना करना पड़ा। 2014 में, भारत ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों टेस्ट सीरीज गंवा दीं, इंग्लैंड में 1-3 और ऑस्ट्रेलिया में 0-2 से हार का सामना करना पड़ा।
3. रोटेशन पॉलिसी
एमएस धोनी (MS Dhoni) ने 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट में खास मुकाम हासिल कर लिया था। इसके बाद, उन्हें वनडे और टेस्ट में भी कुछ समय बाद कप्तानी मिल गई। 2011 वर्ल्ड कप जीतने के बाद धोनी का कद और बढ़ गया था। हालांकि, 2012 में सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग की मौजूदगी में धोनी ने रोटेशन पॉलिसी अपनाई। यानी इन तीन में से 2 खिलाड़ी ही एक साथ खेल सकते थे, जिसकी वजह से काफी विवाद भी हुआ था और खिलाड़ी भी फैसले से खुश नहीं दिखे थे।
2. 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में धीमी बल्लेबाजी
भारत ने 2019 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। सेमीफाइनल में टीम इंडिया को न्यूजीलैंड ने हराकर बाहर कर दिया था। मैच में न्यूजीलैंड ने 240 का लक्ष्य दिया था लेकिन भारतीय टॉप ऑर्डर पूरी तरफ फ्लॉप रहा था। स्कोर 92/6 हो गया था लेकिन एमएस धोनी (MS Dhoni) के साथ रवींद्र जडेजा ने जीत की उम्मीद जगा रखी थी।
इन दोनों ने स्कोर को 200 के पार पहुंचाया लेकिन जडेजा का साथ धोनी सही से नहीं दे पा रहे थे। वह काफी धीमा खेल रहे थे और जरूरी रन रेट को बढ़ता देखा जड्डू बड़े शॉट के प्रयास में आउट हो गए। धोनी ने 72 गेंदों में 50 रनों की पारी खेली। वह 49वें ओवर में रन आउट हुए। धोनी को इस पारी के लिए फैंस आज भी कोसते हैं और उन्हें ही हार का जिम्मेदार भी ठहराते हैं।
1. आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग
यह धोनी के करियर का सबसे बड़ा विवाद हो सकता है और वह इससे जुड़ना बिल्कुल नहीं चाहेंगे। 2013 के कुख्यात स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण ने चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) की टीम के इतिहास में एक अनचाहा अध्याय जोड़ दिया। सीएसके के मालिक एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मय्यपन से सट्टेबाजों से कथित तौर पर जुड़े होने के आरोप में पूछताछ की गई। इसके परिणामस्वरूप सीएसके के कप्तान धोनी (MS Dhoni) से भी गहन पूछताछ की गई और एक वकील ने उन पर भी बेईमानी का आरोप लगाया।
हालांकि, धोनी (MS Dhoni) पर कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ लेकिन दावा किया जाता है कि इस पूर्व भारतीय कप्तान का भी फिक्सिंग से कनेक्शन था। इसी वजह से सोशल मीडिया पर अक्सर धोनी का नाम फिक्सिंग से जोड़ा जाता है।