दोहरा शतक और तिहरा शतक ये तो पुरानी बात हो गई. आपको बताते हैं एक ऐसे बल्लेबाज़ के बारे में जिसने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 400 से अधिक की पारी खेल दी. हैरत की बात तो ये है की इतने धांसू बल्लेबाज़ी के बाद भी ये खिलाड़ी ने कभी भारतीय टीम के लिए अंतेर्राष्ट्रीय मुकबला नहीं खेला. इस खिलाड़ी ने रणजी (Ranji) में खूब धूम मचाया लेकिन इस खिलाड़ी के नसीब में अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबला नहीं आया. वहीं रणजी के इस मुक़ाबले में इस खिलाड़ी ने इतने चौके छक्के बरसाए की सामने वाली टीम पस्त हो गयी. आइये जानतें हैं की कौन है वो खिलाड़ी जिसने रणजी में खेल दि इतनी धुऑंधर पारी.
भाऊसाहेब निम्बालकर ने जड़े थे 443 रन
इस खिलाड़ी के बारे में जानने के लिए हमें इतिहास का पन्ना पलटना होगा और जाना होगा साल 1948 में. साल 1948 में काठियावाड़ और महारष्ट्र के बीच रणजी ट्रॉफी का मुक़ाबला खेला जा रहा था. इस दौरान महारष्ट्र के लिए बल्लेबाज़ी करते हुए भाऊसाहेब निम्बालकर ने तूफानी पारी खेली थी. भाऊसाहेब निम्बालकर ने इस मुक़ाबले में 443 रन बनाये थे. 443 रन बनने के बाद भी भाऊसाहेब निम्बालकर नाबाद रहे थे. उन्होंने इस मुक़ाबले में 494 मिनट मैदान में बिताया था. इस दौरान उन्होंने खूब चौके और छक्के भी लगाए थे. और गेंदबाज़ों की हालत ख़राब कर दी थी.
कैसा रहा था मैच का हाल
भाऊसाहेब निम्बालकर ने इस मुक़ाबले में 49 चौके जड़े थे, हलाकि उन्होंने इस दौरान केवल एक ही छक्का लगया था. वहीं अगर इस मुक़ाबले की बात करे तो इस मुक़ाबले में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए काठियावाड़ ने महज़ 238 रनों पर ही ऑल आउट हो गई थी. बाद में बल्लेबाज़ी करने आई महारष्ट्र की टीम ने काठियावाड़ के गेंदबाज़ों के पसीने छुड़ा दिए थे. महारष्ट्र ने चार विकेट गवा कर 826 रन बनाए थे और इस मुक़ाबले को महारष्ट्र ने बाई डिफ़ॉल्ट अपने नाम कर लिया था.
भाऊसाहेब निम्बालकर के आंकड़ों में है दम
वहीं अगर हम भाऊसाहेब निम्बालकर के बारे में बात करे तो फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने खूब धूम मचाई है. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कुल 80 मुक़ाबले खेले हैं, इस दौरान उन्होंने 118 इनिंग खेली हैं, 118 इनिंग खेलते हुए उन्होंने 47.93 की एवरेज से 4841 रन अपने नाम किए हैं. भाऊसाहेब निम्बालकर के नाम कुल 12 शतक और 22 अर्धशतक है.
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