Team India All Rounder Robin Singh Story: क्रिकेट खेलने वाले हर एक खिलाड़ी का सपना अपने देश की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना होता है। लाखों-करोड़ों में से कुछ का ही ये ड्रीम पूरा होता है, जबकि कुछ की कहानी संघर्ष में ही रह जाती है। हालांकि, अब खिलाड़ी मौका ना मिलने पर अपने देश से निकलकर दूसरे कंट्री में शिफ्ट हो जाते हैं, जहां उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह मिलने की उम्मीद होती है। ऐसा ही कुछ भारतीय मूल के कई खिलाड़ी कर चुके हैं।
विदेशी क्रिकेट टीमों में दूसरे देश में जन्म लेने वाले खिलाड़ियों की कहानी तो आप ने खूब सुनी होगी लेकिन अगर बात टीम इंडिया (Team India) की करें तो शायद ही आपको इसके बारे में पता होगा। भारत में क्रिकेट का खुमार बच्चे-बच्चे पर देखने को मिलता है, इसी वजह से नेशनल टीम में जगह बना पाना भी बहुत मुश्किल है। हालांकि, एक खिलाड़ी ऐसा रहा, जो विदेशी होने के बावजूद टीम इंडिया से खेल गया और अपनी अलग पहचान बनाने में भी कामयाब रहा। इस खिलाड़ी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
Team India से खेल चुका विदेशी खिलाड़ी कौन है?
आप में से ज्यादातर लोग अभी तक उस क्रिकेटर के बारे में शायद ना जान पाए हों लेकिन जैसे ही हम उनका नाम बताएंगे, आप निश्चित तौर पर पहचान जाएंगे। हम यहां पर रॉबिन सिंह की बात कर रहे हैं, जो मैदान पर अपनी बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग के लिए मशहूर थे। रॉबिन को एक पूर्ण क्रिकेटर माना जाता था, जो तीनों ही विभाग में जबरदस्त योगदान देने में सक्षम थे। खासकर उनकी फील्डिंग का अलग ही जलवा था।
हालांकि, इस खिलाड़ी की कहानी बड़ी दिलचस्प है। रॉबिन सिंह का जन्म भारत में नहीं हुआ था लेकिन किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि वह टीम इंडिया (Team India) से खेलने में सफल रहे। रॉबिन मूल रूप से प्रिंसेस टाउन, त्रिनिदाद के हैं। उनका जन्म 14 सितंबर 1963 को हुआ था। क्रिकेट खेलने की चाह रखने वाले रॉबिन के लिए वेस्टइंडीज की टीम में जगह बना पाना मुश्किल काम था, क्योंकि उस दौर में तेज गेंदबाजों का बोलबाला था और कई दिग्गज खिलाड़ी पहले से टीम का हिस्सा थे।
रॉबिन सिंह को Team India की तरफ से कैसे मिला खेलना का मौका?
त्रिनिनाद एंड टोबैगो अंडर-19 टीम की कप्तानी कर चुके रॉबिन सिंह को भी अंदाजा हो गया था कि 1980 के दशक में वेस्टइंडीज के इंटरनेशनल लेवल पर खेलना काफी मुश्किल है। हालांकि, 1982 में उनकी किस्मत बदली, जब हैदराबाद ब्लूज नाम से एक मेहमान टीम ने त्रिनिदाद का दौरा किया और रॉबिन के खेल से प्रभावित हुई। इस क्लब ने रॉबिन को भारत आने का ऑफर दिया और इस युवा खिलाड़ी ने यहीं से अपनी राह बनाने के लिए इंडिया जाने का फैसला किया।
रॉबिन सिंह ने भारत आने के बाद मद्रास यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया, जहाँ वह अपनी इकोनॉमिक्स डिग्री के साथ-साथ क्रिकेट खेलने पर भी ध्यान लगा रहे थे। 1985 में उन्हें तमिलनाडु के लिए रणजी डेब्यू का मौका मिला लेकिन वह इस मैच में कुछ खास नहीं कर पाए। एक साल के अंदर ही उन्हें ड्रॉप भी कर दिया गया। रॉबिन ने हार नहीं मानी और जबरदस्त ट्रेनिंग के बाद 1987-88 में धमाकेदार वापसी की। घरेलू क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन के कारण 1989 में रॉबिन की एंट्री टीम इंडिया (Team India) में हो गई।
इत्तेफाक से रॉबिन सिंह को टीम इंडिया (Team India) के लिए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका त्रिनिदाद में ही मिला, जो उनका जन्म स्थान भी था। हालांकि, इस मैच में उनका प्रदर्शन काफी साधारण रहा था। उन्हें जल्द ही टीम से ड्रॉप कर दिया लेकिन 1996 में वह फिर से वापसी करने में कामयाब रहे। इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा और 2004 में संन्यास लेने से पहले खुद की अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे।
टीम इंडिया के लिए ऐसा रहा रॉबिन सिंह का प्रदर्शन
रॉबिन सिंह ने भारत के लिए दो फॉर्मेट ही खेले। उन्होंने कुल 137 मैच टीम इंडिया (Team India) के लिए खेले, जिसमें से 136 वनडे रहे। रॉबिन ने वनडे करियर में 25.95 की औसत से 2336 रन बनाए, वहीं गेंदबाजी में 69 विकेट झटके। टेस्ट में रॉबिन ने 27 रन बनाए लेकिन विकेट नहीं चटका सके।