पिंक टेस्ट (Pink Test): भारत और ऑस्ट्रेलिया के दरमियान खेली गई टेस्ट सीरीज का दूसरा मुकाबला पिंक बॉल से खेला गया था और इस मैच को पिंक बाल टेस्ट (Pink Ball Test) मैच कहा गया था। लेकिन अब खबरें आई हैं कि, भारत और ऑस्ट्रेलिया के दरमियान टेस्ट सीरीज का आखिरी मुकाबला पिंक टेस्ट (Pink Test) के रूप में खेला जाएगा। इस खबर को सुनकर सभी समर्थक इस मैच को लेकर बेहद ही उत्सुक नजर आए हैं। वहीं कुछ लोग यह सोच में पड़ गए हैं कि, आखिरकार पिंक टेस्ट (Pink Test) क्या है? और इसके नाम के पीछे की असली कहानी क्या है?
आखिरकार क्या है Pink Test?
हाल ही में यह पता चला कि, सिडनी के मैदान में खेला जाने वाला मुकाबला पिंक टेस्ट (Pink Test) के रूप में जाना जाएगा और सभी समर्थक इस खबर को सुनने के बाद बेहद ही उत्सुक नजर आए हैं। इस मैच में पिंक गेंद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के द्वारा इस मैच के दिन गुलाबी जर्सी का इस्तेमाल किया जाता है। ऑस्ट्रेलियाई टीम मैनेजमेंट के द्वारा यह पहल स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए की गई थी और पहली मर्तबा इस मैच को साल 2009 में आयोजित किया गया था।
New Year 🤝🏻 Australia 🤝🏻 Baggy
Pink Perfect….🩷🧢
Standing together with the McGrath Foundation for breast cancer awareness.
The Australia camp ahead of the iconic Pink Test in Sydney.#AUSVIND #WTC25 #AustraliaCricket pic.twitter.com/jqNapNt5x6
— Sports Gully Max (@sportsgullymax) January 1, 2025
इस वजह से होता है पिंक बॉल टेस्ट
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के द्वारा पिंक टेस्ट (Pink Test) को साल 2009 से आयोजित किया जा रहा है और इसके लिए ग्लेन मैक्ग्रा की फाउंडेशन के द्वारा भी सहयोग किया जाता है। ग्लेन मैक्ग्रा की फाउंडेशन के द्वारा इस मैच के लिए पूरे स्टेडियम को गुलाबी रंग से रंग दिया जाता है और स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि, ग्लेन मैक्ग्रा की पत्नी की मृत्यु स्तन कैंसर की वजह से हो गई थी और इसके बाद से ही इन्होंने इस फाउंडेशन की स्थापना की थी। ग्लेन मैक्ग्रा ने जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के सामने यह प्रस्ताव दिया था तो क्रिकेट बोर्ड के द्वारा इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था।
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