Cricketer : दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग एक ओर ख़त्म हुई है, एक लम्बे आरसे के बाद बेंगलुरु ने इस मुक़ाबले में जीत हासिल कर फैंस को बड़ी ख़ुशी दी. लेकिन इन सभी ख़ुशी पर काला धब्बा लग गया. दरअसल सुबह-सुबह ही एक ऐसी खबर आई जिसने क्रिकेट जगत में मातम पसरा दिया.
भारत का एक खिलाड़ी तड़प-तड़प कर ट्रैन में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. एक ओर जहाँ भारत में क्रिकेट को लेकर इतना हल्ला मचाया जाता है वहीँ अब एक क्रिकेटर के मौत ने सभी को बड़ा झटका लगा है. आइये आपको बताते हैं कि आखिर किस खिलाड़ी की हुई ट्रैन हादसे में मौत.
इस खिलाड़ी ने तड़प-तड़पकर कहा दुनिया को अलविदा
पंजाब के रहने वाले इस खिलाड़ी ने ट्रैन में ही अपनी जान देदी. दरअसल पंजाब के दिव्यांग क्रिकेटर विक्रम सिंह ने ट्रेन के अंदर ही अपनी जान देदी. बता दें कि, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट टूर्नामेंट होने जा रहा है. इसी टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए विक्रम सिंह ट्रैन से जा रहे थे. टीम के सभी खिलड़ियों के साथ वो ग्वालियर जा रहे थे तभी अचानक उनकी तबियत बिगड़ गयी और समय पर उपचार न मिलने के कारन उन्होंने ट्रैन में ही अपनी जान गवा दी. उनकी मौत 4 जून को ट्रेन में हो गई. वह दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन से ट्रेन में सवार हुए थे.
कैसे हुई विक्रम सिंह की मौत
रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रेन के अझाई स्टेशन पर पहुँचने से पहले ही विक्रम सिंह की तबियत बिगड़ गयी थी. तबियत खराब होने के कारन रेलवे से मदद मांगी गयी. लेकिन रेलवे की ओर से मदद पहुँचाने में देरी की बात कही गयी. मदद मांगने पर रेलवे की ओर से कहा गया की मदद मथुरा स्टेशन पर मिल सकेगी, मथुरा स्टेशन पर डॉक्टर मिलेंगे. लेकिन मथुरा स्टेशन पहुँचने से पहले ही ट्रेन अझाई स्टेशन पर ढेर घंटे तक रुकी रही थी. लेकिन समय पर उपचार न मिलने के कारन उनको ट्रैन के अंदर ही अपनी जान गवानी पड़ी.
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क्या बोले कप्तान
अगर विक्रम सिंह की बात करे तो विक्रम सिंह पंजाब के पिहड़ी गांव के रहने वाले थे. वो दिल्ली से ग्वालियर जा रहे थे तभी उनकी मौत हो गयी इसको लेकर इंडियन व्हीलचेयर क्रिकेट के कैप्टन सोमजीत सिंह गौर ने दुःख ज़ाहिर किया, उन्होंने विक्रम संग फोटो शेयर करते हुए लिखा कि पंजाब के एक साथी व्हीलचेयर क्रिकेटर विक्रम की ट्रेन यात्रा के दौरान मृत्यु हो गई, मथुरा स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने से बहुत पहले ही वह बेहोश हो गया था.
सुबह 4:41 बजे मेडिकल इमरजेंसी की सूचना दी गई, लेकिन ट्रेन को मथुरा जंक्शन पहुंचने से पहले 1.5 घंटे से अधिक समय तक रोके रखा गया. जब तक मेडिकल सहायता पहुंची, विक्रम की मौत हो चुकी थी, उसका बेजान शरीर रेलवे स्टेशन के फर्श पर पड़ा था, उसके चारों ओर उसके साथी, सभी व्हीलचेयर उपयोगकर्ता थे, जो दुख और लाचारी में चुपचाप बैठने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे.
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