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फिटनेस में Kohli से भी 4 कदम आगे रहता था ये बल्लेबाज, लेकिन जलन के चलते Virat खा गए करियर

Virat Kohli

Virat Kohli : विराट कोहली (Virat Kohli) को भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे फिट मेंबर माना जाता है। हालांकि एक समय एक खिलाड़ी उभरा था, जो ताकत और सहनशक्ति में Virat Kohli से भी आगे था। फिटनेस के प्रति उसके समर्पण और मैदान पर ऊर्जा ने उसे प्रशंसकों का पसंदीदा और भविष्य का सितारा बना दिया। हालांकि, चौंकाने वाले दावे बताते हैं कि ईर्ष्या और आंतरिक राजनीति ने उसके करियर को बर्बाद कर दिया। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि Virat Kohli के प्रभाव ने इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी को दरकिनार करने में भूमिका निभाई।

Virat Kohli के बाद सबसे फिट

Virat Kohli

जब भारतीय क्रिकेट में फिटनेस की बात आती है, तो विराट कोहली (Virat Kohli) को सर्वोच्च मानक माना जाता है। उनके सख्त आहार, कड़ी कसरत और अनुशासित जीवनशैली ने खेल के लिए नए मानक स्थापित किए। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब एक और भारतीय क्रिकेटर मनीष पांडे (Manish Pandey) कोहली की फिटनेस की सर्वोच्चता को चुनौती देने वाले के रूप में उभरा। विकेटों के बीच अपनी बिजली जैसी गति, तेज क्षेत्ररक्षण और दुबली-पतली मांसपेशियों के लिए जाने जाने वाले मनीष पांडे को क्रिकेट के सबसे एथलेटिक खिलाड़ियों में से एक माना जाने लगा।

फिटनेस के प्रति उनका समर्पण हर मैच में साफ दिखाई देता था, क्योंकि वे अभ्यास और शक्ति परीक्षणों (strength test) में अपने साथियों से बेहतर प्रदर्शन करते थे। कई विशेषज्ञों ने तो यहां तक दावा किया कि पांडे अपने चरम पर कोहली से शारीरिक रूप से ज्यादा मजबूत और विस्फोटक थे। प्रशंसकों का मानना ​​था कि भारतीय टीम में उनका लंबा और सफल करियर तय था।

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वह खिलाड़ी जो बन सकता था स्टार

मनीष पांडे सिर्फ फिटनेस के मामले में ही नहीं बल्कि एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज के भी तौर पर काफी सक्षम थे, जिनका घरेलू रिकॉर्ड भी मजबूत था। 2009 में, वह आईपीएल (IPL) में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बने। वर्षों से, पांडे घरेलू टूर्नामेंटों में रन बनाते रहे और भारत की सीमित ओवरों की टीम में जगह बनाई। सीमित अवसरों के बावजूद, उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण प्रदर्शन किए, जिनमें 2016 में सिडनी (Sydney) में ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ मैच जिताऊ शतक भी शामिल है।

मैदान में मनीष पांडे की चपलता और मध्य क्रम में उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें एक मूल्यवान खिलाड़ी बना दिया। लेकिन जैसे-जैसे साल बीतते गए, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके मौके कम होते गए। जहां एक ओर अस्थिर रिकॉर्ड वाले अन्य खिलाड़ियों को लंबे समय तक खेलने का मौका मिला, वहीं पांडे अक्सर बेंच पर ही बैठे रहे। इसे लेकर प्रशंसकों और क्रिकेट विशेषज्ञों की ओर से अक्सर चयन में पक्षपात को लेकर सवाल उठाए जाते रहे।

क्या राजनीति और ईर्ष्या खा गई करियर

हाल की रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय बताती है कि मनीष पांडे के पतन में आंतरिक राजनीति का हाथ हो सकता है। ऐसी अफवाहें हैं कि Virat Kohli की कप्तानी के दौरान (captaincy era) टीम के फैसलों में उनके प्रभाव ने पांडे को लंबे समय तक प्लेइंग इलेवन से बाहर रखने में भूमिका निभाई होगी। कुछ अंदरूनी सूत्रों का आरोप है कि फिटनेस आइकन के रूप में पांडे की बढ़ती प्रतिष्ठा और फिटनेस सर्किट में उनकी लोकप्रियता ने ड्रेसिंग रूम में मतभेद पैदा किए।

हालांकि ये दावे अभी तक पुष्ट नहीं हुए हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अपार प्रतिभा और असाधारण फिटनेस वाला एक खिलाड़ी सफलता के लिए आवश्यक सभी साधन होने के बावजूद अपनी जगह पक्की नहीं कर पाया। आज, 34 साल की उम्र में, पांडे घरेलू क्रिकेट (Domestic Cricket) और IPL में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनका भारतीय करियर अब भी अनिश्चित है।

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