Gambhir : इंडियन क्रिकेट में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन जब बात चयन की आती है तो कभी-कभी तर्क से ज्यादा नाम का प्रभाव दिखाई देता है। कुछ ऐसा ही एक भारतीय खिलाड़ी के साथ भी जुड़ता है। एक समय भारतीय टीम के भविष्य के ऑलराउंडर कहे गए इस खिलाडी के घरेलू प्रदर्शन को देखकर यही सवाल उठता है — क्या वाकई वह भारत की तीनों फॉर्मेट की टीम में जगह पाने लायक हैं? कौन है वो खिलाडी आइये जानते है।
रणजी में फीके रहे सुंदर
दरअसल, रणजी ट्रॉफी 2024-25 के एलीट ग्रुप D में दिल्ली के खिलाफ वॉशिंगटन सुंदर ने जरूर एक शतक लगाया, लेकिन यह शतक उनके फर्स्ट क्लास करियर का सिर्फ दूसरा शतक था — और वो भी पूरे 7 साल बाद आया। याद दिला दे पिछला शतक उन्होंने 2017 में त्रिपुरा के खिलाफ लगाया था। ये आंकड़े खुद दिखाते हैं कि वॉशिंगटन सुंदर ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कोई निरंतरता नहीं दिखाई है।
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हालांकि, 178 गेंदों में शतक और साई सुदर्शन के साथ 230+ रन की साझेदारी सराहनीय जरूर है, लेकिन क्या ये एक प्रदर्शन उन्हें सीधे तीनों फॉर्मेट के लिए भारतीय टीम में जगह दिलाने के लिए काफी है? क्यूंकि जब देशभर में घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बना रहे कई प्रतिभाशाली ऑलराउंडर्स हैं, तब सुंदर को प्राथमिकता देना सवाल खड़ा करता है।
टेस्ट करियर भी अधूरा
सुंदर ने इंडिया के लिए सिर्फ 4 टेस्ट मैच खेले हैं। इनमें उन्होंने भले ही 66.25 की औसत से रन बनाए हों, लेकिन इंडियन टेस्ट टीम में जगह बनाए रखने के लिए ये सैंपल साइज बहुत छोटा है। वहीं गेंदबाजी की बात करें तो 11 टेस्ट में सिर्फ 30 विकेट। इंडिया की टर्निंग पिचों पर यह आंकड़ा प्रभावी तो नहीं कहा जा सकता, खासकर जब सामने अश्विन, जडेजा, अक्षर जैसे दिग्गज स्पिनर मौजूद हों।
न्यूजीलैंड के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन, लेकिन…
बता दे 2024 की घरेलू सीरीज में सुंदर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ चार पारियों में 16 विकेट जरूर लिए थे। लेकिन यही एक सीरीज उनके चयन का आधार बन गई है, ऐसा प्रतीत होता है। भारतीय टीम में जगह बनाए रखने के लिए सिर्फ एक सीरीज का प्रदर्शन काफी नहीं होता, खासकर जब घरेलू रणजी में खिलाड़ी का प्रदर्शन अस्थिर हो।
कोच गंभीर की प्राथमिकता
ऐसे में अब बड़ा सवाल ये है कि कोच गौतम गंभीर आखिर क्यों सुंदर का नाम हर फॉर्मेट में सबसे पहले लिखते हैं? जब रणजी ट्रॉफी में उनका प्रदर्शन साधारण रहा है, टेस्ट में मौके गिनती के हैं और सीमित ओवरों में भी वो छाप नहीं छोड़ पाए — फिर भी उन्हें तीनों टीमों में बनाए रखना किस तर्क पर आधारित है? दरअसल, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि वॉशिंगटन सुंदर की बहु-भूमिकाएं — गेंदबाज, बल्लेबाज और फील्डर — उन्हें भारतीय टीम के लिए उपयोगी बनाती हैं। लेकिन जब ये भूमिकाएं दूसरे खिलाड़ी भी बखूबी निभा रहे हों, तो सिर्फ “पोटेंशियल” के नाम पर बार-बार मौका देना, खासकर घरेलू फॉर्म को नजरअंदाज कर, भारतीय टीम के लिए दीर्घकालिक नुकसानदायक हो सकता है।
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