(भारतीय खिलाड़ी): क्रिकेट में फिटनेस के साथ आँखों की रोशनी का रोल भी बहुत अहम होता है. हमने कई बार सुना भी है कि एक उम्र के बाद जब आँखों की रोशनी कम होती है तो बल्लेबाज के लिए लम्बे समय तक खेलते रहना काफी मुश्किल है.
वीरेंद्र सहवाग की आँखों की रोशनी कम होने के बाद उनकी क्रिकेट एक दम से ख़त्म हो गयी थी कुछ ऐसा ही हाल साउथ अफ्रीका के मार्क बाउचर के साथ हुआ था. लेकिन इस आर्टिकल में हम उस भारतीय खिलाड़ी के बारे में जानेंगे जिसकी आँख को रोशनी की वजह से क्रिकेट ख़त्म हो गया था.
पॉल वाल्थाटी का आगाज हुआ था शानदार
दरअसल ये कोई और नहीं बल्कि आईपीएल 2011 में सनसनी मचाने वाले पॉल वाल्थाटी है. पॉल वाल्थाटी ने साल 2011 के आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ मैच में शतक लगाकर अपनी टीम को मैच जिताया था. जिसके बाद से उनको एक अलग पहचान मिल गई थी. लेकिन उनका ये सफर इतना आसान नहीं था. उन्होंने आँखों की चोट से सही होने के बाद ये पारी खेली थी.
2002 अंडर 19 वर्ल्ड कप के दौरान आँख में गेंद लगी थी
आपको बता दें, कि पॉल वाल्थाटी को साल 2002 के अंडर 19 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के तेज गेंदबाज की गेंद आँख के पैसा लगी थी. दरअसल उस पिच पर गेंद रुक कर आ रही थी जिसकी वजह से वो शॉट टाइम नहीं कर पाए और गेंद को इस कर गए और उनके आँख में गेंद लग गई थी. उस रात वो आँखों में बैंडेज लगाकर घर पहुंचे थे.
पॉल वाल्थाटी ने उसके बाद 4 बार अपनी आँखों की सर्जरी कराई लेकिन वो पूरी तरह से सही नहीं हुए. लेकिन उन्होंने कम रोशनी के साथ ही क्रिकेट खेलना जारी रखा. उसके बाद उन्होंने साल 2011 में बतौर अनकैप्ड प्लेयर शतक जड़कर सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड बनाया था.
हालाँकि बाद में जाकर ये रिकॉर्ड यशस्वी जायसवाल ने तोडा था. हालाँकि उसके बाद वो आईपीएल में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे और साल 2013 उनका आखिरी आईपीएल था. उन्होंने आईपीएल में 23 मैच खेले थे जिसमें उन्होंने 23 की औसत से 505 रन बनाये थे.