Ashes: ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच होने वाली एशेज सीरीज दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित और रोमांचक टेस्ट प्रतिद्वंद्विताओं में से एक है। हर दो साल में आयोजित होने वाली यह सीरीज सिर्फ क्रिकेट का मुकाबला नहीं, बल्कि इतिहास, गर्व, परंपरा और भावनाओं का संगम है।
2025 की एशेज श्रृंखला की शुरुआत हो चुकी है और पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 8 विकेट से हरा दिया। ऐसे में आइए Ashes के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं, जहां राख के साथ-साथ मोहब्बत की महक भी बसती है।
ऑस्ट्रेलिया–इंग्लैंड सीरीज को कैसे मिला Ashes नाम?

इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला आधिकारिक टेस्ट मैच 1877 में मेलबर्न में खेला गया था। लेकिन “एशेज” शब्द का जन्म साल 1882 में हुआ। लंदन के केनिंगटन ओवल में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को पहली बार उनकी धरती पर हराकर इतिहास रच दिया। यह हार इंग्लैंड के लिए इतनी दर्दनाक थी कि स्पोर्टिंग टाइम्स नामक एक अखबार ने मज़ाकिया लहजे में एक “मृत्युलेख” छाप दिया।
इस मृत्युलेख में लिखा था कि “इंग्लिश क्रिकेट की मौत हो चुकी है और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उसकी राख (Ashes) ऑस्ट्रेलिया ले जाएगी।” इसके साथ भीड़ में यह चर्चा चल पड़ी कि इंग्लैंड अब ऑस्ट्रेलिया से “एशेज” वापस लेने जाएगा। उसी समय इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लीग ने घोषणा की कि वे आने वाले ऑस्ट्रेलिया दौरे में जाकर एशेज को वापस ले कर आएंगे।
इस मृत्युलेख में लिखा था कि इंग्लिश क्रिकेट की मौत हो चुकी है और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उसकी राख (Ashes) ऑस्ट्रेलिया ले जाएगी।” इसके साथ भीड़ में यह चर्चा चल पड़ी कि इंग्लैंड अब ऑस्ट्रेलिया से “एशेज” वापस लेने जाएगा। उसी समय इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लीग ने घोषणा की कि वे आने वाले ऑस्ट्रेलिया दौरे में जाकर एशेज को वापस ले कर आएंगे। इसके बाद, ऑस्ट्रेलिया को इंग्लैंड ने हराने में कामयाबी पाई और एशेज को वापस ले गए। इस तरह यह क्रिकेट के इतिहास की सबसे बड़ी सीरीज का प्रतीक बन गई।
इवो ब्लीग और फ्लोरेंस मर्फी — Ashes के पीछे छुपी लव स्टोरी
1882 की हार के कुछ हफ्तों बाद इंग्लैंड टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहुंची। इसी दौरे के दौरान इतिहास ने करवट ली। इंग्लिश कप्तान इवो ब्लीग की मुलाकात मेलबर्न में फ्लोरेंस मर्फी से हुई। फ्लोरेंस रूपर्टवुड की मालकिन लेडी जेनेट क्लार्क की साथी और मेलबर्न महिला समुदाय की प्रमुख सदस्य थीं।
कहा जाता है कि फ्लोरेंस मर्फी ने इंग्लिश कप्तान को मजाक और प्यार के मिश्रण में एक छोटा टेराकोटा अर्न गिफ्ट किया। यह वही अर्न था, जिसके बारे में कहा जाने लगा कि इसमें जली हुई “बेल्स की राख” यानी Ashes रखी हुई है।
इसी मुलाकात से दोनों के बीच दोस्ती और फिर धीरे-धीरे प्रेम पनपने लगा। उनकी मुलाकातें बढ़ीं, और क्रिकेट सीरीज के पीछे छिपी यह मोहब्बत 1884 में शादी में बदल गई। कह सकते हैं कि Ashes ने सिर्फ क्रिकेट को नहीं, दो दिलों को भी जोड़ा।
A love story for #Ashes eve as told on @7Cricket. Always worth revisiting how the actual urn came about: pic.twitter.com/XqoHtrc5pC
— Alison Mitchell (@AlisonMitchell) November 20, 2025
अर्न के लॉर्ड्स पहुंचने की कहानी
इवो ब्लीग के निधन के बाद फ्लोरेंस मर्फी ने वह ऐतिहासिक अर्न MCC (Marylebone Cricket Club) को सौंप दिया। आज भी यह अर्न लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड के MCC म्यूजियम में सुरक्षित रखा गया है। यही अर्न Ashes का असली प्रतीक माना जाता है।
लेकिन एक दिलचस्प बात यह है कि असली अर्न को किसी विजेता टीम को कभी नहीं दिया जाता। Ashes की एक डुप्लीकेट ट्रॉफी बनाई गई है जिसे सीरीज जीतने वाली टीम को प्रस्तुत किया जाता है। असली अर्न सिर्फ संग्रहालय की धरोहर है और प्रेम व इतिहास का अनमोल प्रमाण है।
एशेज का अब तक का इतिहास
अब तक 73 Ashes सीरीज खेली जा चुकी हैं।
-
ऑस्ट्रेलिया ने 34 बार जीत दर्ज की है।
-
6 बार सीरीज ड्रॉ रही है, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया ने ट्रॉफी अपने पास रखी।
-
इंग्लैंड ने 32 बार Ashes सीरीज जीती है और एक बार इसे रिटेन रखा है।
ये आंकड़े बताते हैं कि Ashes कितनी प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण रही है। यह सिर्फ खेल नहीं, दो राष्ट्रों के गौरव का संघर्ष है।
FAQs
Ashes सीरीज क्या है?
असली Ashes अर्न क्या है?