क्रिकेट में शतक, दोहरा शतक या तिहरा शतक आम बात है — लेकिन अगर कोई बल्लेबाज एक ही पारी में 1000 से ज्यादा रन ठोक दे, तो यह किसी सपने जैसा लगता है। मगर यह कोई कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। कुछ साल पहले मुंबई में 16 साल के एक भारतीय बल्लेबाज ने ऐसा कमाल किया जिसे देखकर पूरा क्रिकेट जगत दंग रह गया। दो दिनों तक चला रनों का तूफान, चौकों-छक्कों की बरसात और टूटते रिकॉर्ड — यही वो पल थे जब क्रिकेट में नया इतिहास लिखा जा रहा था।
16 साल के भारतीय बल्लेबाज का दो दिनों तक चला रनों का बवंडर
साल 2016 में मुंबई के एच.टी. भंडारी कप टूर्नामेंट में एक स्कूल मैच खेला जा रहा था — आर्य गुरुकुल बनाम केसी गांधी इंग्लिश स्कूल। इसी मुकाबले में उभरे 16 वर्षीय बल्लेबाज प्रणव धनावड़े ने ऐसा कारनामा किया जिसने क्रिकेट के इतिहास को बदल दिया।
पहले दिन प्रणव ने चौकों और छक्कों की बौछार करते हुए 652 रन ठोके। दूसरे दिन उन्होंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी और अंत में 1009 नाबाद रन बनाकर इतिहास रच दिया। यह अविश्वसनीय पारी उन्होंने 327 गेंदों में खेली, जिसमें 129 चौके और 59 छक्के शामिल थे — यानी उन्होंने सिर्फ बाउंड्रीज़ से 870 रन बना डाले। उनकी टीम ने 1465/3 पर पारी घोषित की, जबकि विपक्षी टीम दोनों पारियों में 83 रन भी नहीं बना सकी।
117 साल पुराना रिकॉर्ड बना इतिहास
प्रणव धनावड़े की इस ऐतिहासिक पारी ने 117 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे पहले इंग्लैंड के आर्थर कॉलिन्स ने 1899 में 628 नाबाद रन बनाए थे। प्रणव ने इस रिकॉर्ड को ध्वस्त कर अपना नाम क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर के रूप में दर्ज करा लिया।
जब यह खबर बाहर आई, तो क्रिकेट जगत में हलचल मच गई। सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी, और कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने प्रणव को बधाई दी। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक आथर्टन ने लाइव कमेंट्री में कहा — “ऐसी पारी शायद एक सदी में एक बार ही देखने को मिलती है।” इस बयान के बाद प्रणव रातोंरात अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गए।
पिता चला रहे थे ऑटो, बेटे ने बना दिया विश्व रिकॉर्ड
जिस दिन प्रणव मैदान पर इतिहास रच रहे थे, उस दिन उनके पिता मुंबई में ऑटो रिक्शा चला रहे थे। तभी एक दोस्त ने उन्हें फोन कर बताया — “तुम्हारा बेटा रिकॉर्ड बना रहा है!” वे तुरंत मैदान पहुंचे और देखा कि उनका बेटा इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुका है।
उनकी इस इनिंग के बाद मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) ने प्रणव को हर महीने ₹10,000 की स्कॉलरशिप देने की घोषणा की, जो पांच साल तक चली। इतना ही नहीं, सीबीएसई बोर्ड ने उनकी इस पारी को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया ताकि छात्र उनके जज़्बे और मेहनत से प्रेरणा ले सकें।
शोहरत मिली, लेकिन उम्मीदों का बोझ भी बढ़ गया
इतिहास रचने के बाद प्रणव धनावड़े देशभर में चर्चा का केंद्र बन गए। हर जगह बस उनकी 1009 रन की पारी की बातें थीं। लेकिन इस शोहरत के साथ उम्मीदों का बोझ भी आया। लोग चाहते थे कि वह फिर से वैसी ही पारी दोहराएं, मगर क्रिकेट में हर दिन इतिहास नहीं लिखा जा सकता।
हालांकि प्रणव बड़े स्तर की टीमों में जगह नहीं बना सके, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे आज भी क्रिकेट से जुड़े हैं और युवा खिलाड़ियों को सिखा रहे हैं कि मेहनत, जुनून और आत्मविश्वास के दम पर कोई भी असंभव लगने वाला लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।