रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy)में कई बल्लेबाजों ने एक पारी में तिहरे शतक और दोहरे शतक बनाए हैं। लेकिन क्या कभी आपने किसने बल्लेबाज को एक ही पारी में चार शतक लगाते देखा है। जी हां आपने बिल्कुल सही सुना है। हम जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं उनका नाम भाऊसाहेब निंबालकर (Bhausaheb Nimbalkar)है। आज बात उनकी उस तूफानी पारी की करेंगे जब उन्होंने एक ही मैच 443 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी। वो अपने जमाने के विराट कोहली थे।
भाऊसाहेब निंबालकर की विस्फोटक बल्लेबाजी
भाऊसाहेब निंबालकर एक भारतीय क्रिकेटर थे, जिन्होंने 1948-49 में रणजी ट्रॉफी(Ranji Trophy) में नाबाद 443 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी। महाराष्ट्र की तरफ से बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने(Bhausaheb Nimbalkar) ये कारनामा कर दिखाया था। अपनी इस विस्फोटक पारी में उन्होंने 49 चौके और 1 छक्के लगाए थे। वहीं उन्होंने 494 गेंद खेलकर ये स्कोर खड़ा किया था।
भाऊसाहेब निंबालकर नहीं तोड़ सके ये रिकॉर्ड
इस पारी के दौरान, भाऊसाहेब निंबालकर(Bhausaheb Nimbalkar) ने सर डॉन ब्रैडमैन के प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर के रिकॉर्ड को तोड़ने का मौका गंवा दिया था। सर डॉन ब्रैडमैन ने 1930 में क्वींसलैंड के खिलाफ 452 रन बनाए थे। जब भाऊसाहेब निंबालकर(Bhausaheb Nimbalkar) 443 रनों पर बल्लेबाजी कर रहे थे, तब काठियावाड़ की टीम ने खेल समाप्त होने से पहले ही मैदान छोड़ दिया था।
भाऊसाहेब निंबालकर का क्रिकेट करियर
भाऊसाहेब निंबालकर(Bhausaheb Nimbalkar) ने 1939 में बड़ौदा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की। उन्होंने (Bhausaheb Nimbalkar)1948-49 रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) सीज़न में महाराष्ट्र और काठियावाड़ के बीच खेले गए मैच में नाबाद 443 रन बनाए थे।
उनका प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर 1939-40 से 1964-65 तक चला। निंबालकर का क्रिकेट करियर फर्स्ट क्लास तक ही सीमित रहा। निंबलकर ने 80 फर्स्ट क्लास मैच खेले, जिसकी 118 पारियों में उनके बल्ले से 4841 रन निकले। उन्होंने 443 रन के बेस्ट स्कोर के साथ 12 शतक और 22 अर्धशतक भी जमाए। उनके नाम फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 58 विकेट भी दर्ज हैं।
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