Lowest Score in Ranji Trophy : क्रिकेट की असली पहचान उसकी अनिश्चितता में छिपी है। कभी कोई बल्लेबाज मैदान पर रनों की झड़ी लगा देता है, तो कभी गेंदबाज अपनी धारदार गेंदबाजी से पूरी टीम को ताश के पत्तो की तरह समेट देता है। रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) जैसे प्रतिष्ठित घरेलू टूर्नामेंट में आमतौर पर बड़े स्कोर और लंबी पारियां देखने को मिलती हैं।
लेकिन इसी रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के एक सेमीफाइनल मैच में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सभी को चौंका दिया। एक टीम अपनी दूसरी पारी में मात्र 23 रन पर सिमट गई और उसका कोई भी खिलाड़ी दो अंकों तक नहीं पहुंच सका। स्कोरकार्ड पर नजर डालते ही साफ दिखता है कि जैसे-जैसे विकेट गिरते गए, टीम की उम्मीदें भी उसी तेजी से खत्म होती चली गईं।
पहली पारी की उम्मीदें और दूसरी पारी में 23 रनों पर बिखरी टीम
यह किस्सा साल 1939 का है, जब रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) में सिंध और साउदर्न पंजाब के बीच सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया था। पहली पारी में सिंध ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 339 रन बना लिए थे। टीम के बल्लेबाज आत्मविश्वास से भरे थे और पूरी टीम को उम्मीद थी की दूसरी पारी में भी वही लय देखने को मिलेगी।
लेकिन सिंध की पारी की कहानी कुछ अलग ही निकली जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। दूसरी पारी की शुरुआत होते ही सिंध के बल्लेबाज ऐसे लड़खड़ाए कि फिर संभल नहीं सके। पहले ही ओवर में विकेट गिरा और उसके बाद एक के बाद एक विकेट गिरने का सिलसिला जारी रहा और टीम के रनों की रफ्तार थम गई।
दूसरी पारी में सिंध के बल्लेबाज पूरी तरह असहाय नजर आए। कोई भी खिलाड़ी दो अंकों तक नहीं पहुंच पाया। ओपनर बी.एस. अंबेप ने सात रन बनाए जो टीम का सबसे बड़ा स्कोर था। अब्बास खान ने चार और जियोमल ने पांच रन जोड़े, जबकि बाकी खिलाड़ी एक-एक कर बिना खास योगदान के पवेलियन लौटते गए।
ऐसा लग रहा था जैसे हर गेंद किसी जाल की तरह थी जिससे निकल पाना नामुमकिन था। गेंदबाजों की धार के सामने बल्लेबाज टिक नहीं सके और देखते ही देखते पूरी टीम केवल 23 रन पर सिमट गई।
अमरनाथ और निस्सार ने भरपाया कहर
साउदर्न पंजाब के गेंदबाजों ने इस मैच में इतिहास रच दिया। लाला अमरनाथ और मोहम्मद निस्सार की जोड़ी ने ऐसा कहर बरपाया कि सिंध की बल्लेबाजी लाइनअप पूरी तरह बिखर गई। निस्सार ने तेज और सटीक गेंदबाजी करते हुए छह विकेट झटके, जबकि अमरनाथ ने चार विकेट लेकर उनकी मदद की।
दोनों की गेंदबाजी में इतनी धार थी कि बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं बचा। हर ओवर में गेंदबाजों ने दबाव बढ़ाया और बल्लेबाज गलती पर गलती करते गए। यह वह दिन था जब बल्लेबाजों की नहीं, बल्कि गेंदबाजों की कहानी लिखी जा रही थी।
साउदर्न पंजाब ने दर्ज़ की आसान जीत
23 रन पर ऑलआउट हुई सिंध टीम रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के इतिहास में हमेशा याद की जाएगी। इतनी कम पारी में इस तरह का पतन किसी को भी हैरान कर देने वाला था। साउदर्न पंजाब के लिए यह जीत आसान थी और उन्होंने 166 रनों के लक्ष्य को बिना किसी परेशानी के हासिल कर लिया और इस मैच को सात विकेट से जीतकर फाइनल में अपनी जगह बनाई।