Coach Gambhir : इंडियन क्रिकेट टीम की इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज अपने अंतिम मोड़ पर पहुंच चुकी है, लेकिन इस सीरीज में सबसे ज्यादा चर्चा खिलाड़ियों के प्रदर्शन से ज्यादा उनकी चोटों और प्रबंधन की ज़िद को लेकर हो रही है। खासतौर पर कोच गौतम गंभीर (Coach Gambhir) की कथित सख्त शैली पर अब सवाल उठने लगे हैं।
कोच गंभीर (Coach Gambhir) के ‘आक्रामक देशभक्ति’ वाले रवैये के चलते दो बड़े खिलाड़ी चोटिल होने के बावजूद मैदान पर उतरे, जिससे न केवल उनका तत्काल प्रदर्शन प्रभावित हुआ, बल्कि उनके करियर पर भी खतरा मंडरा सकता है। कौन है ये दो खिलाड़ी आइये जानते है ?
पंत की हालत के बावजूद मैदान पर उतारा कोच गंभीर ने
आपको बता दे ऋषभ पंत, जो पहले ही लॉर्ड्स टेस्ट में उंगली की चोट से परेशान थे, मैनचेस्टर टेस्ट के पहले दिन फिर से गंभीर चोट का शिकार हुए। वोक्स की फुल लेंथ गेंद उनके दाहिने पैर के अंगूठे पर लगी, जिससे काफी खून निकलता दिखा और सूजन भी आ गई। मैदान पर प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें गोल्फ कार्ट में बाहर ले जाया गया, और उनकी स्थिति इतनी खराब थी कि एंबुलेंस तक बुलानी पड़ी। पर यह पहला मौका नहीं था।
लॉर्ड्स में भी चोट के बावजूद पंत को पहले विकेटकीपिंग करने भेजा गया था, जब उनकी उंगली में तकलीफ थी। वहां भी बाद में विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी ध्रुव जुरेल को देनी पड़ी। फिर भी कोच गंभीर (Coach Gambhir) की अगुवाई में टीम मैनेजमेंट ने पंत को पूरी तरह आराम न देकर दोबारा मैदान पर उतार दिया। एक खिलाड़ी की फिटनेस के साथ इस तरह समझौता करना उनकी रिकवरी को और मुश्किल बना सकता है।
आकाशदीप की चोट भी छुपाई गई
इसके अलावा इसी सीरीज में तेज गेंदबाज आकाशदीप की चोट को भी गंभीरता से नहीं लिया गया। दरअसल, मैनचेस्टर टेस्ट से पहले शुभमन गिल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुष्टि की कि आकाशदीप ग्रॉइन इंजरी से जूझ रहे हैं और इसलिए अंतिम मैच से बाहर हो गए हैं। हालांकि चौथे टेस्ट से पहले तक उन्हें अभ्यास सत्रों में ज़बरदस्ती झोंका गया। वहीं कोच गंभीर (Coach Gambhir) ने प्रेस में खुद स्वीकारा कि आकाशदीप इस दौरे की शुरुआत से ही चोटिल थे।
और तो और चौंकाने वाली बात यह रही कि बावजूद इसके उन्हें शुरुआती मैचों में खेलने के लिए मजबूर किया गया। क्योंकि यह निर्णय न केवल खिलाड़ी की फिटनेस को दांव पर लगाने जैसा था, बल्कि टीम की लॉन्ग टर्म स्ट्रेटजी पर भी सवाल उठाता है। चोट को नजरअंदाज कर के खिलाड़ियों से खेलने की उम्मीद करना “देशभक्ति” के नाम पर उनके करियर की बलि देने जैसा है।
गंभीर की ‘आग वाली देशभक्ति’ और आलोचना
कोच गौतम (Coach Gambhir) गंभीर हमेशा से अपने देश प्रेम और आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं। क्यूंकि उन्होंने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा है कि “देश के लिए खेलना बलिदान मांगता है।” लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह बलिदान व्यावसायिक खेल में चोटिल खिलाड़ियों को ज़बरदस्ती मैदान पर उतारने तक जाना चाहिए?
इंडिया के पूर्व खिलाड़ियों और खेल विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि कोच गंभीर (Coach Gambhir) का यह रवैया आक्रामकता की सीमा लांघ रहा है। यह जरूरी नहीं कि हर बार देशभक्ति दिखाने के लिए खिलाड़ी अपने शरीर को तोड़ें। बल्कि सही प्रबंधन, सावधानी और दीर्घकालिक सोच के जरिए ही भारतीय टीम और खिलाड़ी दोनों को बचाया जा सकता है।
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