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टर्फ क्रिकेट खेलने लायक नहीं है ये खिलाड़ी, गंभीर की जिद्द के चलते खेल गया शुरुआती तीनों टेस्ट मैच

This player is not fit to play turf cricket, due to Gambhir's stubbornness played the first three test matches

Gambhir: जब कोई खिलाड़ी 8 साल बाद भारतीय टेस्ट टीम में वापसी करता है, तो उससे उम्मीदें भी उसी अनुपात में बढ़ जाती हैं। यही हाल हुआ करुण नायर के साथ, जिन्हें इंग्लैंड के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज में मौका मिला। लेकिन दुर्भाग्य से, नायर अपने अनुभव और घरेलू फॉर्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलने में बुरी तरह नाकाम रहे।

यह प्रदर्शन इतना निराशाजनक रहा कि अब सवाल उठने लगे हैं — क्या वो वाकई टीम इंडिया के टेस्ट प्लान का हिस्सा बनने लायक है?

गंभीर के चलते खेल गया शुरुआती 3 टेस्ट मैच

टर्फ क्रिकेट खेलने लायक नहीं है ये खिलाड़ी, गंभीर की जिद्द के चलते खेल गया शुरुआती तीनों टेस्ट मैच 1

दरअसल, करुण नायर को टीम में शामिल कराने में सबसे बड़ा हाथ भारतीय टीम के मेंटॉर गौतम गंभीर का माना जा रहा है। गंभीर लंबे समय से नायर का समर्थन करते आए हैं, और यही वजह रही कि तमाम विकल्पों के बावजूद चयनकर्ताओं ने नायर को शुरुआती 3 टेस्ट में मौका दिया।

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हालांकि ये चयन अब पूरी तरह सवालों के घेरे में है, क्योंकि नायर ने एक भी पारी ऐसी नहीं खेली जिसे देखकर कहा जा सके कि उन्हें आगे और मौके मिलें।

लीड्स, एजबेस्टन और लॉर्ड्स सब में फ्लॉप 

बात दे लीड्स, एजबेस्टन और लॉर्ड्स — तीनों ही टेस्ट मैचों में करुण नायर का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। 6 पारियों में वह केवल 131 रन ही बना सके, जिसमें एक मात्र उल्लेखनीय स्कोर 40 रन का रहा। लॉर्ड्स टेस्ट की दूसरी पारी में जिस तरह से वह एलबीडब्ल्यू आउट हुए, वह दर्शाता है कि वह ना तकनीकी रूप से फिट हैं और ना ही मानसिक रूप से तैयार।

उनकी बल्लेबाजी में न आत्मविश्वास दिखा, न ही रन बनाने की कोई ठोस योजना। ऐसा मन जा रहा है कि गंभीर की सिफारिश के चलते शुरुआती तीन मैचों में नायर को लगातार मौके मिलते गए है।  

जबकि उनके स्थान पर युवा और फार्म में चल रहे खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया गया। साई सुदर्शन और अभिमन्यु ईश्वरन जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को बेंच पर बैठा देख फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञ भी नाखुश हैं। ये दोनों बल्लेबाज़ घरेलू और ए टीम के स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और अब समय आ गया है कि उन्हें मौका दिया जाए।

नायर की वापसी एक चमत्कार

करुण नायर की टेस्ट क्रिकेट में वापसी एक चमत्कार की तरह मानी जा रही थी, खासकर उस पृष्ठभूमि में जब उन्होंने 2016 में इंग्लैंड के ही खिलाफ तिहरा शतक जड़ा था। लेकिन एक तिहरे शतक के सहारे आठ साल बाद भी टीम में जगह पाना और फिर प्रदर्शन में विफल रहना, यह साबित करता है कि केवल पुराने रिकॉर्ड से किसी खिलाड़ी को बार-बार मौका देना टीम के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

टर्फ क्रिकेट खेलने लायक भी नहीं बचे नायर 

अब जब सीरीज के दो मैच शेष हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि टीम मैनेजमेंट साहसिक कदम उठाते हुए करुण नायर को बाहर कर साई सुदर्शन या ईश्वरन जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका देगा।

अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह भारतीय क्रिकेट के भविष्य निर्माण में एक बड़ी चूक मानी जाएगी। लिहाज़ा करुण नायर के लिए यह सीरीज शायद उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का अंत साबित हो सकती है।

और यह भी स्पष्ट है कि गंभीर की जिद ने टीम को शुरुआती तीन मैचों में एक अतिरिक्त बोझ ढोने पर मजबूर कर दिया। नायर का मौजूदा प्रदर्शन देख कर ये कहना गलत नहीं होगा कि शयाफ अब वो टर्फ क्रिकेट खेलने लायक भी नहीं बचे है। 

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